ख्वाहिशों की मौत-9

"कहो मामा के लाड़ले अफ़सर....... साहब कैसे इतनी जल्दी आना हुआ, साथ ही चले आते, न पल्लू बांध रखा था। खुश रहो, खुश रहो......दिनेश ने पैर छूकर विस्मय भरी निगाहों से और नम आंखों से कैकयी  के चरण छुए और खड़ा हुआ और बोला, बुआ जी पहली बात तो आप लाला की बीवी हो, पर हमारी बुआ हो"।

" सुनते ही कैकयी ने दिनेश के कान पकड़े और कहा बेटा बहुत जबान चल रही है तुम्हारी...... बड़े हो गए लगता है और सुन लो लाला वह सिर्फ हमारे लिए है, बाकी सबके लिए चौधरी है। समझ गए ना......... फिर चाहे तुम्हारे बाप ही क्यों ना हो" ,,और हां तुम्हारे लिए भी एक लाडली को देख रखा है। कहो तो कल ही ब्याह रचा दे तुम्हारा भी ,,,,,दिनेश शर्माते हुए......देखो बुआ हमें मजबूर मत करो, नहीं तो हम आपको मामी कहने लगेंगे"। अरे नहीं बाबा हम सच कह रहे हैं। प्रीति आ रही है  आज ही शाम........ घबराकर दिनेश कौन प्रीति बुआ???? कैकयी ने तुरंत उत्तर देते हुए घबराए मत बेटा.... यह वही प्रीति है जिसे धर्मेंद्र की शादी में तुम डॉक्टर बनने की सलाह दे आए थे, और हमसे नजर चुरा कर दिन भर उसी को ताक रहे थे"।

बुआ है हम तुम्हारी, सब जानते हैं। तुम यह बताओ कि, वह रिश्ता भेजे तो तुम्हारी राय क्या होगी???तुम डॉक्टर बनने दोगे या सिर्फ बेकार की ही सलाह देकर आए हो या कोई और देख रखी है। पहले ही बता दो आज शाम वो लोग  स्पेशली तुमको ही देखने के लिए आ रहे हैं। अच्छा बता दो तो तुम्हारी राय क्या है???? वैसे एक-दो रिश्ते और है जिनसे बात चलाई है। अगर तुम्हें पसंद ना हो तो मैं बाबूजी को बता दूंगी।

दिनेश घबराकर नहीं नहीं बुआ, ऐसी बात नहीं है। कैकयी मुस्कुराकर अच्छा तब ठीक.... जाकर अपनी मां से कह दो शाम नाना जी आने वाले हैं। उनको लेकर थोड़ा ठीक से खरीदारी करें और वह अफसर की मां है और फिर मेरे भुलक्कड़ भाई को दोष मत देना बोलते हुए खुद अपनी तैयारी में मग्न हो गई.... या यूं कहा जाए कि दिनेश को और कुछ समय ही समझ ही नहीं आया। वह प्रीति के ख्यालों में खोया हुआ था कैसे उसे जबरदस्ती धर्मेंद्र की शादी में जाने के लिए तैयार किया गया था। बड़े अनमने मन से वह पहुंचा था। किसी से कोई बातचीत नहीं। गुमसुम सा एक तरफ बैठा रहता था। यहां तक कि धर्मेंद्र ने तक कह दिया था कि भाई शादी मेरी है लगता दुख तुम्हें ही सबसे ज्यादा हो रहा है । ठीक दूसरे दिन जब प्रीति पीले सूट में खुले बालों के साथ बस से उतरी और दिनेश जो नहीं जाना चाहता था, वह थोड़ा सा मुंह लेकर जिसे देखते ही प्रीति को हंसी आ गई प्रीति बोली क्यों भैया किसे साथ ले आए हैं। वाह  बड़ा गजब से दुखी इंसान है। शहर की लड़की इतना मेकअप करके बस से उतरी और जनाब की एक नजर भी नहीं पड़ी, यह तो नाइंसाफी है कौन है यह ????

अपने भाई सुरेंद्र से पूछा, अरे नहीं, भाई साहब को इनकी पढ़ाई की चिंता सताई जा रही है और इन्हें जबरदस्ती धर्मेंद्र भाई की शादी में लाया गया है। इसी वजह से उदास हैं  I हम्म्म्म्मम्म शब्द के साथ वह उसे लेने आई गाड़ी की खिड़की से बाहर की तरफ झांकने लगी। वह खिड़की से बाहर झांक रही थी, लेकिन उसे छूती हुई हवा दूसरी तरफ बैठे दिनेश को जैसे अपनी और आकर्षित कर रही थी। उसके खुले बात जब जाकर दिनेश के माथे को छूते तो ऐसा लगता मानो पर्वत से बर्फीली हवाएं टकराती हो और हर पल एक अजीब सा एहसास उसके चेहरे पर साफ झलकता था।

सुरेंद्र गाड़ी चलाने में मशगूल था और दिनेश अब धीरे-धीरे हर ब्रेकर से दूरी कम करते जा रहा था, जिसका एहसास प्रीति उसका हाथ बाजू से प्रीति के शरीर को छुआ तो वह भाप गई, और दिनेश की तरफ देखकर क्या के इशारा  आंखों से किया, अचानक दिनेश वापस अपनी जगह खिसक कर बैठ गया, जिसे देख प्रीति अपनी हंसी को रोक न पाई I और वह जोर से हंस पड़ी।

सुरेंद्र ने गाड़ी रोकते हुए क्या हुआ??? कुछ नहीं भैया। प्रीति ने बात को संभालकर स्कूल की तरफ इशारा करके पुराने स्कूल की याद आ गई। कितने प्यारे दोस्त थे। दिनेश तो जैसे पानी पानी सा था क्योंकि प्रीति अपनी जानबूझकर की गई हरकत को समझ गई थी। थोड़ी ही देर में घर आ गया और सभी चकित थे दिनेश के बदले हुए व्यवहार  से है कि अचानक वह उसका उखड़ा हुआ चेहरे कैसे खिल  गया?और गुमसुम बैठे रहने वाले दिनेश घर के हर कामों को अपना समझ कर हाथ बटाने लगा, लेकिन बुआ बराबर प्रीति और दिनेश के इशारों पर नजर बनाए हुए थी।

क्रमशः........

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4 Comments

Rupesh Kumar

19-Dec-2023 09:21 PM

V nice

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Gunjan Kamal

19-Dec-2023 08:28 PM

👏👌

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Shnaya

19-Dec-2023 11:16 AM

Nice one

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